#सेक्यूलर
नागदा म प्र में जब नया नया काम शुरू किया था तो वहाँ एक रूम किराये पर लिया था,जिसके मालिक मकान ठीक सामने रहते थे हैरत की बात ये थी नया पक्की टाइलस लगा घर किराये पर चढ़ा दिया ठीक पूजन के बाद और खुद उसी पुराने टूटे से कमरे में रहते थे। सर्दी में चाट और गर्मी में मटका कुल्फी बनाया करते थे वो,और एक हैरत की बात मुझे आज भी उनका नाम नहीं मालूम बस "दीपक" जो कि उनके सबसे छोटे बेटे का नाम है से ही काम चल जाता था। पहले पहले जब उस रूम में शिफ्ट हुआ तो वहाँ दो छोटी मूर्तियाँ लक्ष्मी गणेस जी की जो पूजन में इस्तमाल हुई होंगी रखी हुई थीं एक कैलेंडर और एक फ्रेम की वहीं के किसी मंदिर की तस्वीर और एक थोड़ी सी बड़ी मूर्ती रखी हुई थी। पहले ही दिन जब में वहाँ पोंहचा तो भाभी (मालिक मकान) बोलीं भईया अगर आपको दिक्कत हो तो हम ये मूर्तियाँ हटा दें अगर दिक्कत नहीं तो रखी रहनें दें हम ठहरे पैदाइसी बाबा आदमी बोले हमें कोई दिक्कत नहीं रखी रहने दें। दीपक जो कि 12-13 साल का क्यूट सा बच्चा था पहले ही दिन आ खड़ा हुआ सारे सवाल जबाब करने भईया कहाँ रहते हो क्या करते हो वगैराह वगैराह अच्छी दोस्ती हो गई मेरी उस से कुछ मेरी बातें कुछ मोबाईल का लालच दीपक को हम पसंद आ गये। कुछ दिन रहने के बाद जब रोज रात को खाना लाने या होटल में खाने का वक्त होता दीपक बाबू आ जाते बोलते "भईया होटल का खाना मत खाया करो मम्मी बोल रही हैं" हम बना कर दे दिया करेंगे दीपक को टालता रहा एक महीने तक तो एक दिन भाभी ने खुद बुला कर बोला "भईया खाना यहीं खा लिया करो दीपक के पापा भी बोल रहे थे घर का खाना घर का होता है होटल में पेट नहीं भरता होगा"।उनकी सासू माँ भी यही बोलीं बेटा परेशान मत हों घर में सबका बनता है तुम्हारा भी बन जायेगा संकोच मत करो मैं तय्यार हो गया इस शर्त पर के महीने पर पैसे लेना पड़ेंगे वरना नहीं खाऊँगा । एक दिन पानी चालू करने का बोलने गया तो आम्मा (,दीपक की दादी) बृहस्पतिवार की कथा पढ़वा रहीं थी दीपक से मुझे भी बैठने का बोला मैं भी बैठ गया बुर्जुगों और बच्चों से हमेशा पटी है मेरी तो मना नहीं कर पाया ।पूरी कथा सुनने के बाद खूब दुआयें मिलीं भगवान खूब काम सफल करे ।फिर जो सम्बंध उनसे रहे आप अंदाजा लगायें इस बात से कि "हर रोज दीपक जबरन हमें एक रोटी ज्यादा खिलाने में सफल रहा"और हाँ सेक्यूलरिज्म की परिभाषा जरूर खोज लें और हमारे देश की खूबसूरती भी।
#असलम
नागदा म प्र में जब नया नया काम शुरू किया था तो वहाँ एक रूम किराये पर लिया था,जिसके मालिक मकान ठीक सामने रहते थे हैरत की बात ये थी नया पक्की टाइलस लगा घर किराये पर चढ़ा दिया ठीक पूजन के बाद और खुद उसी पुराने टूटे से कमरे में रहते थे। सर्दी में चाट और गर्मी में मटका कुल्फी बनाया करते थे वो,और एक हैरत की बात मुझे आज भी उनका नाम नहीं मालूम बस "दीपक" जो कि उनके सबसे छोटे बेटे का नाम है से ही काम चल जाता था। पहले पहले जब उस रूम में शिफ्ट हुआ तो वहाँ दो छोटी मूर्तियाँ लक्ष्मी गणेस जी की जो पूजन में इस्तमाल हुई होंगी रखी हुई थीं एक कैलेंडर और एक फ्रेम की वहीं के किसी मंदिर की तस्वीर और एक थोड़ी सी बड़ी मूर्ती रखी हुई थी। पहले ही दिन जब में वहाँ पोंहचा तो भाभी (मालिक मकान) बोलीं भईया अगर आपको दिक्कत हो तो हम ये मूर्तियाँ हटा दें अगर दिक्कत नहीं तो रखी रहनें दें हम ठहरे पैदाइसी बाबा आदमी बोले हमें कोई दिक्कत नहीं रखी रहने दें। दीपक जो कि 12-13 साल का क्यूट सा बच्चा था पहले ही दिन आ खड़ा हुआ सारे सवाल जबाब करने भईया कहाँ रहते हो क्या करते हो वगैराह वगैराह अच्छी दोस्ती हो गई मेरी उस से कुछ मेरी बातें कुछ मोबाईल का लालच दीपक को हम पसंद आ गये। कुछ दिन रहने के बाद जब रोज रात को खाना लाने या होटल में खाने का वक्त होता दीपक बाबू आ जाते बोलते "भईया होटल का खाना मत खाया करो मम्मी बोल रही हैं" हम बना कर दे दिया करेंगे दीपक को टालता रहा एक महीने तक तो एक दिन भाभी ने खुद बुला कर बोला "भईया खाना यहीं खा लिया करो दीपक के पापा भी बोल रहे थे घर का खाना घर का होता है होटल में पेट नहीं भरता होगा"।उनकी सासू माँ भी यही बोलीं बेटा परेशान मत हों घर में सबका बनता है तुम्हारा भी बन जायेगा संकोच मत करो मैं तय्यार हो गया इस शर्त पर के महीने पर पैसे लेना पड़ेंगे वरना नहीं खाऊँगा । एक दिन पानी चालू करने का बोलने गया तो आम्मा (,दीपक की दादी) बृहस्पतिवार की कथा पढ़वा रहीं थी दीपक से मुझे भी बैठने का बोला मैं भी बैठ गया बुर्जुगों और बच्चों से हमेशा पटी है मेरी तो मना नहीं कर पाया ।पूरी कथा सुनने के बाद खूब दुआयें मिलीं भगवान खूब काम सफल करे ।फिर जो सम्बंध उनसे रहे आप अंदाजा लगायें इस बात से कि "हर रोज दीपक जबरन हमें एक रोटी ज्यादा खिलाने में सफल रहा"और हाँ सेक्यूलरिज्म की परिभाषा जरूर खोज लें और हमारे देश की खूबसूरती भी।
#असलम

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