आजाद भारत की सेना में हुआ था यह पहला घोटाला - Hakeem Danish

Wednesday, 11 January 2017

आजाद भारत की सेना में हुआ था यह पहला घोटाला

 600 ट्रकों की खरीद मामले में सेना प्रमुख को घूस की पेशकश से राजनीतिक सरगर्मी बढ़ गई है। सेना प्रमुख के बयान से उथल-पुथल अवश्य मची है, लेकिन घोटाले और भ्रष्टाचार के मामले सेना में लंबे समय से सामने आते रहे हैं। आंकड़े बयां करते हैं कि किस हद तक भ्रष्टाचार ने सेना को जकड़ रखा है...


जीप घोटालाः आजाद भारत की सेना में हुआ यह पहला घोटाला था। 1948 में हुआ यह घोटाला काफी सुर्खियों में रहा। आरोप है कि आजादी के बाद पाक से युद्ध के दौरान इस घोटाले में नियम-कायदों को ताक पर रख दिया गया। इंग्लैंड में भारत के उच्चायुक्त कृष्ण मेनन ने एक विदेशी कंपनी से सेना की जीप खरीदने के लिए 80 लाख का अनुबंध किया। कुल 155 जीपें खरीदी गईं और सबसे अहम बात यह रही कि तत्कालीन प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू ने इस सौदे को हरी झंडी दी थी।

बोफोर्स घोटालाः 1980-1990 के बीच हुए घोटाले से सेना में दलाली का एक नया खुलासा हुआ। 1.4 बिलियन डॉलर (63 अरब रुपये) की बोफोर्स डील पर 24 मार्च 1986 को तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने हस्ताक्षर किए थे। इसके तहत राजीव गांधी सरकार और स्वीडन की एबी बोफोर्स के बीच 410 हॉवित्जर तोपों की सप्लाई को लेकर सौदा हुआ था। गौरतलब है कि क्वात्रोची इटली का व्यापारी है, जिसे सीबीआई ने बोफोर्स घोटाले का आरोपी बनाया था। वह राजीव गांधी और सोनिया गांधी के सबसे नजदीकी व्यक्तियों में रहा है। क्वात्रोची पर आरोप था कि पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी के कार्यकाल में बोफोर्स तोपों के सौदे के दौरान उसने प्रमुख बिचौलिये के रूप में 64 करोड़ रुपए की दलाली की।

बराक मिसाइल घोटालाः यह घोटाला सन 2001 में इजरायल के साथ बराक मिसाइल खरीद को लेकर था। इस घोटाले में समता पार्टी के पूर्व कोषाध्यक्ष आर. के. जैन, जॉर्ज फर्नांडीज, जया जेटली और नौसेना के एक अधिकारी सुरेश नंदा का नाम सामने आया। आर. के. जैन को गिरफ्तार भी किया गया।

ताबूत घोटालाः सेना ने 1999-2000 में 1.25 लाख रुपए प्रति ताबूत और 4250 रुपए प्रति बॉडी बैग्स के बेहद ऊंचे दाम पर खरीदी की थी। इससे सेना को 89.76 लाख रुपए का नुकसान उठाना पड़ा।

ऑर्डिनेंस और केबल घोटालाः भारतीय सेना की ऑर्डिनेंस कोर में 100 करोड़ के घोटाले का खुलासा हुआ। इस घोटाले में मेजर जनरल अनिल स्वरूप शक के दायरे में आए। इसके अलावा सेना में केबल खरीद में भारी गड़बड़ियां हुईं जिसमें मेजर जनरल स्वरूप का ही नाम सामने आया। कंपनी की कीमत और खरीद की कीमतों में जमीन आसमान का अंतर पाया गया। 70 स्क्वायर एमएम के पावर केबल की बाजार में कीमत 591 रुपए प्रति मीटर थी, लेकिन इसे सेना ने 1670 रुपए प्रति मीटर की दर से खरीदा। उसी तरह 95 स्क्वायर एमएम के पावर केबल की बाजार में कीमत 569 रुपए प्रति मीटर थी लेकिन सेना ने इसे 2950 रुपये प्रति मीटर की दर से खरीदा। 240 स्क्वायर एमएम की बाजार में कीमत 1319 रुपये प्रतिमीटर थी लेकिन सेना ने इसे 11000 रुपये प्रति मीटर की दर से खरीदा।

स्कॉर्पियन डील घोटालाः 2005 में भारत मे घूसखोरी का सबसे बड़ा घोटाला सामने आया जिसमें जहाज बनाने वाली कंपनी स्कॉर्पियन पर आरोप लगा कि उसने सरकार के नुमाइंदों को 500 करोड़ रुपए दिए।

राशन घोटालाः सियाचिन और जम्मू-कश्मीर के अन्य पहाड़ी इलाकों में तैनात जवानों के राशन की खरीद में भारी गड़बड़ी पाई गई थी। फौजियों को बेकार मटन परोसा गया। करोड़ों रुपये के इस घोटाले में 1000 मीट्रिक टन घटिया मसूर दाल की भी खरीद की गई। कैग की रिपोर्ट में कहा गया कि सैनिकों को घटिया दर्जे का राशन मुहैया कराया जाता है। इस रिपोर्ट में कहा गया कि उत्तरी कमान और पश्चिमी कमान के कुछ भागों में आटा, चीनी, चावल, चाय, दाल, खाद्य तेल और किशमिश को उनकी सामान्य ईएसएल की समाप्ति के छह से 28 महीनों बाद भी उपभोग किया गया था। ईएसएल यानी अनुमानित भंडार अवधि वो अवधि होती है जिसमें ये चीजें इंसानों के उपभोग के योग्य बनी रहती हैं।

बुलेटप्रूफ जैकेट टेंडर धांधलीः 59,000 बुलेटप्रूफ जैकेटों की खरीद के लिए टेंडर मंगाए गए थे। इस मामले में भ्रष्टाचार की शिकायत मिलने के बाद कंपनियों से फिर से नमूने देने को कहा गया।

दूध सप्लाई घोटालाः जम्मू-कश्मीर के लेह में ऑपरेशन पराक्रम के दौरान करीब दस करोड़ रुपये के दूध की सप्लाई का घोटाला हुआ। दूध सप्लाई केवल दस्तावेजों में ही हुआ था। इस मामले में लेफ्टिनेंट कर्नल कुलदीप सिंह के खिलाफ 25 आरोप लगाए गए थे, जिसमें से 15 आरोप सही पाए गए।

सैन्य बलों के कैंटीन में धांधलीः नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) ने 2010 में अपनी रिपोर्ट में सैन्य बलों के लिए कैंटीन स्टोर्स डिपार्टमेंट (सीएसडी) में बड़े पैमाने पर हो रही धांधलियों को उजागर किया।

सुकना घोटालाः पश्चिम बंगाल के सिलीगुड़ी में सुकना सैनिक अड्डे के नज़दीक वर्ष 2008 में स्कूल के निर्माण के लिए एक निजी कंपनी को 17 एकड़ ज़मीन का हस्तांतरण किया गया था जिसमें बाद में गड़बड़ी पाई गई थी। पहली बार सेना के इतिहास में तीन लेफ्टिनेंट रैंक के ऑफिसर्स के कोर्ट मार्शल की सिफारिश की गई। इसमें मिलिट्री सेक्रेट्री अवधेश प्रकाश, लेफ्टिनेंट जनरल रमेश हलगली और लेफ्टिनेंट जनरल पीके रथ के कोर्ट मार्शल की सिफारिश की गई।

आदर्श सोसायटीः मुंबई के कोलाबा में कथित तौर पर नौसेना की महंगी ज़मीन पर घोटाला करके 31 मंज़िली इमारत खड़ी कर ली गई। यह सोसायटी कारगिल युद्ध के शहीदों की विधवाओं और उनके परिजनों के लिए था लेकिन इसे अफरसशाहों, सैन्य अधिकारियों के सम्बंधियों व अन्य को आवंटित कर दिया गया था। इसके निर्माण में पर्यावरणीय कानूनों का भी उल्लंघन किया गया था।

एक तरफ घोटाले हैं तो दूसरी तरफ सियासत है, बीच में यदि कुछ अधर में लटका है तो वो है सेना का भविष्य। आरोप तो भ्रष्टाचार की एक कड़ी भर हैं, लेकिन घोटालों और भ्रष्टाचार के बीच सेना का भविष्य क्या होगा, यह समूचे हिंदुस्तान के लिए गंभीर प्रश्न है।

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