मिलिए बेगुनाह सिख नौजवानों को रिहा करने की मांग करने वाले सूरत सिंह खालसा से जो दो साल से भूख हड़ताल पर हैं - Hakeem Danish

Wednesday, 22 February 2017

मिलिए बेगुनाह सिख नौजवानों को रिहा करने की मांग करने वाले सूरत सिंह खालसा से जो दो साल से भूख हड़ताल पर हैं

चंडीगढ़। पंजाब में एक शख्स ऐसा है जो पिछले दो  साल से आमरण अनशन पर है। इस शख्स ने दो  साल से खाना ही नहीं खाया है। इसकी मांग ऐसी है जिसे मान लेना सरकार के बस में नहीं है। दूसरा इस शख्स को कुछ हो जाता है तो पंजाब की सियासत में भूकंप आ जाएगा। सरकार को अपनी साख और इस शख्स की जिंदगी बचाने के लिए 15 दिन में करीब 19 लाख रुपए खर्च करने पड़ रहे हैं।
कई सालों से जेलों में बंद सिख राजनीतिक कैदियों की रिहाई का मामला ठंडे बस्ते में पड़ा हुआ है। देश में लगी इमरजेंसी और खालिस्तान मूवमेंट के दौरान जेलों में बंद इन सिख कैदियों की रिहाई के लिए पंजाब के 83 साल के बापू सूरत सिंह पिछले दो साल से आमरण अनशन पर हैं। कैदियों की रिहाई के लिए लड़ रहे 83 वर्षीय बापू सूरत सिहं को जीवित रखने के लिए पंजाब के विभिन्न अस्पतालों में भर्ती किया जाता रहा है।
बीते साल  जब बापू सूरत सिहं की तबीयत खराब होने पर उन्हें लुधियाना के डीएमसी अस्पताल में पुलिस ने जबरन भर्ती कराया तो वह अस्पताल से अपनी ही रिहाई की मांग करने लगे। खालसा ने सिख संगठनों से अपील की कि वे उन्हें अब अस्पताल से रिहा करवाएं। बापू सूरत सिहं खालसा ने बताया कि वह 16 जनवरी 2015 से भूख हड़ताल पर बैठे थे। उन्होंने आरोप लगाया कि पंजाब सरकार व जिला पुलिस प्रशासन ने उन्हें कई बार घर से जबरन उठा कर अस्पताल में दाखिल करवाकर उनका मरण व्रत तोडऩे की साजिश रची है।

बापू सूरत सिहं ने बताया कि आरटीआई में अपने इलाज संबंधित जानकारी मांगी तो अस्पताल ने पिछले 15 दिनों दौरान हुए इलाज का 18 लाख 62 हजार रुपए का बिल बना कर भेज दिया। यह रकम जमा करवाने पर ही अस्पताल से बाहर जाने के आदेश दिए। खालसा का कहना है कि उन्हें उनके परिवार के किसी भी सदस्य ने अस्पताल में दाखिल नहीं करवाया। उन्होंने कहा कि मेरी मौत अस्पताल में होती है तो उसकी जिम्मेदार पंजाब सरकार और पुलिस प्रशासन होगा।

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