मैं कैसे वर्ल्ड महिला दिवस की बधाई दूँ :अशरफ़ हुसैन का दिल को रुला देने वाला लेख✍ - Hakeem Danish

Wednesday 8 March 2017

मैं कैसे वर्ल्ड महिला दिवस की बधाई दूँ :अशरफ़ हुसैन का दिल को रुला देने वाला लेख✍

"मैं कैसे दूँ महिला दिवस की बधाई"

आज अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस है, हर कोई महिला सशक्तिकरण की बात कर रहा है, हर कोई महिलाओं के अधिकार और उनकी आजादी की बात कर रहा है, लेकिन मैंने ठीक इससे विपरीत इसी देश में महिलाओं की स्तिथी को देखा है, महिलाओं को लाचार और मजबूर देखा है, उनपर ज़ुल्मो जबर् को देखा है, हाँ महिलायें किसी पुरुष से कम नहीं, हाँ महिलायें ही देवी का रुप होती हैं, कोई उसे लक्ष्मी कहता कोई दुर्गा कोई सरस्वती और कोई उसे घर की जीनत और रौनक कहता, लेकिन ये भारत है जहाँ बहन बेटियों को डर के साये में  भी रहना पड़ता है, वह डर केवल भूख प्यास के कारण नहीं बल्कि वह डर अपने शरीर की सुरक्षा को लेकर भी होती है। कि कब कोई नारी-पिचास उस पर आक्रमण ना कर दे,

बोलो कैसे दूँ महिला दिवस की बधाई जब मैं हजारों महिलाओं के चेहरों को तेजाब की आग मे झुलसा हुआ देखता हूँ। जब मैं कश्मीरी महिलाओं का दर्द देखता हूँ जिनमें से किसी का लाल घर से निकला तो फिर वापस नहीं आया तो फिर किसी की सरेआम असमतरेजियां हुई जिसमें सबसे छोटी बलात्कार पीड़िता की उम्र 14 साल और सबसे अधिक उम्र वाली बलात्कार पीड़ित की उम्र 80 साल की भी थी। जब मैं इरोम शर्मीला पर सैन्य जुल्म के खिलाफ 15 साल से भूख हड़ताल को सुनता हूँ। जब हम सोनी सोरी नाम को अत्याचार के खिलाफ लंबी लड़ाई लड़ते देखता हूँ जिसके बाद उसके चेहरे पर तेजाब तक फेंक दिया गया। जब मैं ‘गुजरात’ की बिलकीस बानो को देखता हूँ जिसके साथ 11 लोगों ने बलात्कार किया था। जब मैं अरुणा शानबाग को देखता था जिसके साथ बलात्कार हुआ और वह चार दशकों तक कोमा रही और मर गई। जब मैं जकिया जाफरी की 15 साल से न्याय की आस में पथरायी आंखें देखता हूँ। ऐसे ही जद्दोजहद की दौर से गुजरी जाहिरा शेख, अख़लाक़ के बीवी, बिजनौर की बहनें, नजीब की माँ और उसकी बहन, मिन्हाज की बीवी, DSP जियाउल हक की बीवी, NIA अफसर तंजील अहद की 8 वर्षीय बेटी, निसार से नूरूल होदा की माँ जिसके बेटे को बरसों जेल रखा बेकसूर होने के बावजूद, शब्बीर की माँ को जिसे मालेगांव कांड में मार दिया, सलमान फ़ारसी की माँ (मालेगांव), इशरत जहां और उसकी बेबस माँ, शोहराबूद्दीन की पत्नी, तावड़ू की बहनें। बताओ किस किस का नाम लिखूं ?

है किसी में इतना कलेजा की वो जाकर बधाई दे इन महिलाओं को महिला दिवस की ? क्या जवाब दोगे जब तुम किसी को महिला दिवस की बधाई दे रहे हो और वो पुछेगी की हमारे समाज में दहेज के लिये लड़कियों को मार देना आम बात है तो किस बात का महिला दिवस ? जब वो पुछेंगी की हम महिला को दुर्गा, सरस्वती, लक्ष्मी, काली मानते हैं लेकिन पेट के अंदर ही उन्हें कत्ल करने का हुनर भी जानते हैं तो किस बात का महिला दिवस ?  यह तो कुछ भी नहीं आपके पसीने छुट जाएंगे जब वो पुछ लेंगी की किस बात का महिला दिवस जब इस देश में महिलायें बेची खरीदी जाती है उनकी खरीद फरोख्त में शांतिदुत मर्द का ही हाथ होता है , भारत का कोई शहर , कोई कस्बा ऐसा नहीं होगा जहाँ "महिला" को बेचने का बाज़ार नहीं लगता हो जिसे समाज के सभ्य भाषा में "रेडलाईट एरिया" कहता है और मर्द ही यहाँ अपनी मर्दानगी बाजार में बेची गयी महिला पर उतारते हैं , दिल्ली का "जीबी रोड" हो या कलकत्ता का "सोनागाछी" बाज़ार , या फिर इलाहाबाद का "मीरगंज" ही क्युँ ना हो , देश के कोने कोने में सजने वाले ऐसे बाजार में भारत का संविधान नंगा होकर खड़ा रहता है और खरीदने और बेचने का तमाशा देखता है , तो किस बात का महिला दिवस ?

ना भाई साहब ना, ई हमसे न हो पाएगा, मैं तो उस दिन महिला दिवस की बधाई दूँगा जब हमारी माँ बहने बिना किसी डर के स्कुल काॅलेज से लेकर दफ्तरों तक पहूंचेगी। जब इस देश में बेटी बचाओ बेटी बढाओ केवल एक नारा नहीं बल्कि हकीकत का रुप धारण करेगा। तब तक के लिए सभी माँ बहन बेटियों को इस "छद्म महिला दिवस की बधाई" ।

अंत में: मैं चाहता हूँ की देश के सभी शैक्षणिक संस्थानों में "पीटी क्लास" की तरह ही आवश्यक रूप से सभी बहन बेटियों को स्वयं को ही सुरक्षित करने के लिए जूडो कराटे ताईक्वांडो इत्यादि विद्याओं से लैस करना चाहिए और "आवश्यक शिक्षा" के रूप में एक घंटे की क्लास सभी बच्चियों को सशक्त करने के लिए आयोजित करनी चाहिए जिससे उनमें खुद के प्रती आत्मविश्वास पैदा हो।

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