माँ की बात उसके ख्यालों में गूँजी बेटा आज कल तेरी बीवी के लक्षण मुझे ठीक नहीं लगते घंटो कमरे का दरवाजा बंद करके पता नहीं किसके फोन पर लगी रहती है - Hakeem Danish

Wednesday 3 May 2017

माँ की बात उसके ख्यालों में गूँजी बेटा आज कल तेरी बीवी के लक्षण मुझे ठीक नहीं लगते घंटो कमरे का दरवाजा बंद करके पता नहीं किसके फोन पर लगी रहती है

#एक_____तल्ख_____हकीकत

पत्नी गैर आदमी की तरफ कब और क्यों जाती है समाज की एक तल्ख हकीकत करवट बदल कर सांस बंद किए ही उसने तकिए के नीचे से फोन निकाला जो लगातार वाइब्रेट कर रहा था आंख खुली और फोन की स्क्रीन पर ब्लेंक करता हुआ जाना पहचाना नंबर देखकर उसको कोफ्त हुई उस वक्त उसे क्या मुसीबत पड़ी है कुछ बड़ बड़ाते  हुए उसने कॉल काट दी और मैसेज टाइप किया इस वक्त बात नहीं कर सकता "वह" साथ में सो रही है मैसेज सेंड करके वह जवाब का इंतजार करने लगा फोन की स्क्रीन लाइट जो आफ हो गई थी मैसेज रिप्लाई आने पर ऑन हो गई उसने जल्दी से मैसेज देखा और साथ ही अपने बिस्तर से उठ बैठा बिना कोई आवाज किए बिल्कुल धीरे धीरे वह बिस्तर से उठा और अंधेरे में ही चप्पल ढूंढने लगा चप्पल मिली तो उसने आगे बढ़कर धीरे से दरवाजा खोला बाहर की लाइट ऑन थी दरवाजा खुलते ही कमरे में हल्की सी रोशनी आई उसी रोशनी में उसने मुड़ कर पीछे देखा कि कहीं वह जाग तो नहीं गई हुई है पर जब बिस्तर पर नजर पड़ी तो बिस्तर खाली था कहां चली गई उसके दिमाग ने कई सवालों को जन्म दिया बाथरूम का दरवाजा भी खुला था इसी सोचो फिक्र में वह मुड़ कर  किचन की तरफ गया वहां की लाइट भी ऑफ थी अगले 10 मिनट में उसने अपने घर का पूरा कोना कोना छान मारा लेकिन उसका कुछ पता ना चला आवाज देकर पुकारने से अच्छा नहीं था इसलिए कि कहीं साथ वाले कमरे में सोई हुई मां की आंख ना खुल जाए हैरानी एकदम से परेशानी और गुस्से में बदल गई उसका फोन दोबारा वाइब्रेट करने लगा बड़ी बेदिली से कॉल काट कर वह इधर उधर देखने लगा सोच में ,माँ  की बात उसके ख्यालों में गूँजी बेटा आज कल तेरी बीवी के लक्षण मुझे ठीक नहीं लगते घंटो कमरे का दरवाजा बंद करके पता नहीं किसके फोन पर लगी रहती है अभी कुछ दिन पहले ही माँ  ने अपने शक का इजहार किया था लेकिन उसने उस बात पर ध्यान नहीं दिया कहीं छत पर ना हो दिमाग में सवालों का अंबार लिए वह सीढ़ी पर चढ़ने लगा अभी उसका  पैर आखरी सीढ़ी पर नहीं पड़ा था एक सरगोशी सुनकर वह वहीं रुक गया ,मैं उसकी बीवी तो बन गई लेकिन उसे मुझ में कोई दिलचस्पी नहीं है हमारे बीच जोर जबरदस्ती का रिश्ता चल रहा है जब पहली बार में उनके फोन में किसी लड़की के उल्टे पलटे मैसेज पढ़े तो बहुत "रोई" दिल किया उनसे कहूँ पर डर गई कि कहीं गुस्से में आकर हमारे रिश्ते बर्बाद ना हो जाए जब मैं सो जाती तो वह घंटो-घंटो किसी से फोन पर बातें करते रहते हैं मैं अपने आप को अंदर से खाती रही लेकिन कितनी देर बर्दाश्त करती कोई तो हो जो मेरे दिल की बात सुने पर जब से तुम मेरी जिंदगी में आए हो तो लगता है कोई अपना है जो परवाह करता है मैं जब भी परेशान होती हूं तो तुम्हें याद करती हूं तुमसे बात करके दिल का बोझ हल्का हो जाता है वह अगर अपने दिल की बातें किसी और से करते हैं तो मेरे दिल की बातें सुनने के लिए मेरे पास तो तुम हो ना छत पर   सरगोशियाँ अभी जारी थी लेकिन उसकी बर्दाश्त कम पड़ गई गैरत के समंदर में तूफ़ान उठा और उसने कदम आगे बढ़ाया कि आज तो उसे उस धोखे की सजा मिल कर ही रहेगी इतने में उसके फोन में फिर से वाइब्रेट करना शुरू किया सारे जज्बात एकदम ठंडे पड़ गए एक पल के लिए जैसे सब कुछ रुक सा गया हो जैसे किसी ने उसकी जबान जकड़ ली हो पैर आगे ना बढ़ सके और वह किसी हारे हुए खिलाड़ी की तरह वापस सीढ़िया उतरने लगा सरगोशियां अभी भी कानों में पढ़ती रहीं जो कलेजा छलनी करती रहे अपना फोन पावर ऑफ करके वह बिस्तर पर गिर गया आज तो आरामदायक बिस्तर भी कांटे की तरह चुभ रहे थे जिस गुनाह का वे मुजरिम था वह खुद उसका किया हुआ था किसी और को इस गुनाह की सजा कैसे  देता अगर तो कोई सजा वार अगर था तो वह खुद था कभी-कभी हम इस बात से अनजान होते हैं कि हम जो बोते हैं वही काटते हैं हमारी कोई छोटी सी एक गलती कैसे भयानक तूफान का पेश खेमा बन कर बनती है और कई घरों को खराब करके लड़ाई झगड़े का तलाक तक का कारण बनती है:

काश हम थोड़ा सा भी समझ लेते हालात को ???

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