उड़द-
उड़द के लड्डू, उड़द की दाल, दूध में बनाई हुई उड़द की खीर का सेवन करने से वीर्य की बढ़ोतरी होती है और संभोग शक्ति बढ़ती है।
तालमखाना-
तालमखाना ज्यादातर धान के खेतों में पाया जाता है इसे लेटिन भाषा में एस्टरकैन्था-लोंगिफोलिया कहते हैं।
वीर्य के पतले होने पर, शीघ्रपतन रोग में, स्वप्नदोष होने पर, शुक्राणुओं की कमी होने पर रोजाना सुबह और शाम लगभग 3-3 ग्राम तालमखाना के बीज दूध के साथ लेने से लाभ होता है।
इससे वीर्य गाढ़ा हो जाता है।
गोखरू-
गोखरू का फल कांटेदार होता है और औषधि के रूप में काम आता है। बारिश के मौसम में यह हर जगह पर पाया जाता है।
नपुंसकता रोग में गोखरू के लगभग 10 ग्राम बीजों के चूर्ण में इतने ही काले तिल मिलाकर 250 ग्राम दूध में डालकर आग पर पका लें।
पकने पर इसके खीर की तरह गाढ़ा हो जाने पर इसमें 25 ग्राम मिश्री का चूर्ण मिलाकर सेवन करना चाहिए।
इसका सेवन नियमित रूप से करने से नपुसंकता रोग में बहुत ही लाभ होता है।
मूसली-
मूसली पूरे भारत में पाई जाती है।
यह सफेद और काली दो प्रकार की होती है।
काली मूसली से ज्यादा गुणकारी सफेद मूसली होती है।
यह वीर्य को गाढ़ा करने वाली होती है।
मूसली के चूर्ण को लगभग 3-3 ग्राम की मात्रा में सुबह और शाम दूध के साथ लेने से वीर्य की बढ़ोत्तरी होती है और शरीर में काम-उत्तेजना की वृद्धि होती है।
अदभुत नुस्खा
100 ग्राम तालमखाने के बीज,
100 ग्राम चोबचीनी,
100 ग्राम ढाक का गोंद,
100 ग्राम मोचरस तथा
250 ग्राम मिश्री को कूट-पीसकर चूर्ण बना लें।
रोजाना सुबह के समय एक चम्मच चूर्ण में 4 चम्मच मलाई मिलाकर खाएं।
यह मिश्रण यौन रुपी कमजोरी, नामर्दी तथा वीर्य का जल्दी गिरना जैसे रोग को खत्म कर देता है।
पीपल का फल और पीपल की कोमल जड़ को बराबर मात्रा में लेकर चटनी बना लें।
इस 2 चम्मच चटनी को 100 मि.ली. दूध तथा 400 मि.ली. पानी में मिलाकर उसे लगभग चौथाई भाग होने तक पकाएं।
फिर उसे छानकर आधा कप सुबह और शाम को पी लें।
इसके इस्तेमाल करने से वीर्य में तथा सहवास करने की ताकत में वृद्धि होती है।
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