पदमश्री विजेता करीमुल हक और उनकी बाइक एम्बुलेंस सेवा - Hakeem Danish

Thursday, 26 January 2017

पदमश्री विजेता करीमुल हक और उनकी बाइक एम्बुलेंस सेवा

करीमुल हक के दोस्त ज़ैदुल ने करीमुल के पास फ़ोन करके कहा- मुबारक हो करीमुल तुम्हारा नाम पदमश्री के लिए नॉमिनेट हुआ है।
करीमुल तअज्जुब से पूछने लगे ये पदमश्री क्या होता है।
पश्चिम बंगाल के जलपाईगुड़ी स्थित धालाबाड़ी के रहने वाले करीमुल हक एक चाय बगान में काम करते हैं। एक रोज बगान में काम करते करते करीमुल का एक साथी गिर के बेहोश हो गया। करीमुल  उसे अपने बाइक से 6 किलो मीटर दूर प्राथमिक उपचार केंद्र के गए पर वहा सर्जरी की सुविधा नही थी फिर 45 किलो मीटर दूर यह सुविधा थी और वहा लेजाने के बाद दोस्त की जान बच गयी।
करीमुल ने उसी दिन से अहद कर लिया की अपने बाइक से ही  जरूरतमंदों की मदद करनी है।
करीमुल की सैलेरी सिर्फ 4 हजार है जिसमें 25% बाइक के पेट्रोल और मेंटेनेंस पर खर्च देते हैं, 25% से बाइक की किश्त भरते हैं और बाकि से घर का खर्च चलाते हैं।
करीमुल बताते हैं की एम्बुलेंस ना होने के वजह से ही उन्होंने अपने माँ को खो दी, उन्हें लगता है की वो जब भी किसी की जान बचाते हैं तो उनकी माँ उन्हें देखकर मुस्कुराती हैं और उन्हें उम्मीद  है की उनके इस नेक काम के बदले अल्लाह swt उनके माँ को जन्नत देंगे। करीमुल अपने बाइक एम्बुलेंस से अबतक 3000 से भी जादा लोगों की जान बचा चुके हैं।
दोस्त ज़ैनुल के पूछने पर की अब तो तुम बड़े आदमी बन गए हो, करीमुल कहते हैं - मेरे लिए पदमश्री मायने नही रखता बल्कि सरकार यहां इलाज के लिए अच्छे हॉस्पिटल और एम्बुलेंस का इंतेजाम करदे तो मुझे जादा ख़ुशी होगी।

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