गणतंत्र दिवस पर पेश है ऐसा वीडियो जिसमे कुछ मुस्लिम नौजवान ISIS और पाकिस्तान के खिलाफ नारेबाजी कर रहे हैं...
हालाँकि इस वीडियो को देखकर साफ़ ज़ाहिर है कि ये लोग उनलोगो को सुबूत पेश कर रहें हैं जिनका इस देश की आजादी में कोई योगदान नहीं था... जिन्होंने अंग्रेजी हुकूमत को लिखित में माफीनामे दिए थे....एक तरह से कहा जाए तो ये लोग अपने ही घर में बेगाने हो गए हैं....
वीडियो देखने के लिए यहाँ क्लिक करें...
एशिया की सबसे बड़ी इस्लामिक यूनिवर्सिटी दारुल ऊलूम देवबंद के गेस्ट हाऊस में लगे भारत की आन, बान, शान तिरंगे पर लिखा पूरा तराना -
'सारे जहां से अच्छा हिन्दूस्तां हमारा'
ये तराना हमारी सुनहरी तारीख़ को बताता है।
दारुल ऊलूम देवबंद जिसने 1866 से 1947 तक लगातार कैडर्स मैदान में ऊतार कर आज़ादी की जंग में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया।
आज जब देश 68 वीं मरतबा गणतंत्र दिवस मना रहा है। इस वक़्त ये कहते हुए अफ़सोस होता है कि जिस इदारे ने अपने शुरू के 90 साल देश की आज़ादी के नाम कर दिए और आज़ादी के बाद से आज तक ये इदारा देश की तहज़ीब, संस्कृति और लोकतंत्र को मज़बूत करने में लगा हुआ है। दारुल ऊलूम से जुड़े हज़ारों मदरसे, लाखों उलेमा और स्कॉलर्स देश में मुहब्बत की फि़ज़ा
बनाने में लगे हैं।
इन सब के बावजूद इन्हीं मदरसों को निशाना क्यों बनाया जाता है?
उलेमा को, मदरसों को, टैलेंटेड मुस्लिम छात्रों को और मुसलमानों को क्यों राष्ट्रद्रोही और देशद्रोही का सिम्बल दिया जाता है?
जो लोग ख़ूद को देशभक्त कह कर सारे मुसलमानों को राष्ट्रद्रोही का तमग़ा देते हैं मेरा उनसे सवाल है कि क्या
क्या यही उनकी जम्हूरियत और लोकतंत्र है?
अगर हाँ तो फ़िर उन कथित देशभक्तों को ये समझ लेना चाहिए कि इस देश पर उनका कोई हक़ नहीं है।
जिनसे उनका डी.एन.ए मिलता है उन्हें अपने अपने उन आक़ाओं के पास चले जाना चाहिए।
भारत देश हमारा था, है और रहेगा इंशाअल्लाह।
जय हिंद।
अरशद कुरैशी
No comments:
Post a Comment