एक बाप का दर्द
ऐ मेरे बेटे जिस दिन तू पैदा हुआ
हमारी मेहनत के दिन तभी से शुरू गये थे,
तू रोता था, तो सो नहीं सकते थे, तू खाता था तो हम खा नहीं सकते थे,
तू बीमार होंजाता तो तुझे लिये लिये कभी किसी डॉक्टर के तो कभी किसी डॉक्टर के पास इलाज के लिए मारे मारे फिरते थे की कहीं तू मर ना जाये, हालाँकि की मौत अलग चीज है बिमारी अलग चीज है,
फिर तूझे गर्मी से बचाने के लिए मैं दिन रात काम करता रहा, ताकि मेरे बेटे को ठंढी छाओं मिल जाये, ठंढी से बचाने के लिए मैंने पत्थर तोड़े और भी कड़ी मेहनत की ताकि मेरे बच्चे को गर्मी मिल जाये,
जो कमाया तेरे लिये जो बचाया तेरे लिये।
तेरी जवानी का ख्वाब देखने के लिये मैंने दिन रात इतनी मेहनत की कि अब मेरी हड्डियां कमजोर हो गयी हैं, लेकिन तू कड़ियल जवान हो गया है, फिर मुझपर खजां ने डेरे डाल लिये लेकिन तुझ पर बहार आगयी मैं झुक गया और तू सीधा हो गया,
अब मेरी उम्मीद और ख्वाहिश पूरी हुई कि तू अब हरा भरा हो गया है,
चल अब जिंदगी की आखिरी साँसें तेरी छांव में बैठ कर गुजरूँगा,
मगर यह क्या जवानी आते ही तेरे तेवर बदल गये,तेरी आँखें माथे पर चढ़ गयीं, तू अब ऐसे बात करता है कि इस तरह से कोई गुलाम से भी बात नहीं करता है,
फिर मैंने अपनी सारी जिंदगी की मेहनत को झुठला दिया कि मैं तेरा बाप नहीं नौकर हूँ,
नौकर को भी कोई एक वक़्त की रोटी दे ही देता है, तू नौकर समझ कर ही मूझे एक रोटी दे दिया कर---------!!!!
या अल्लाह पाक तू हम सब को अपने माँ बाप का फरमा बरदार बना और खिदमतगार बना।
आमीन शूम्मा आमीन
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