मुल्क शाम : कभी फ़लस्तीन, उर्दन,लेबनान और आज का सीरिया , कभी मुत्तहिद इलाका हुआ करता था, - Hakeem Danish

Sunday, 29 January 2017

मुल्क शाम : कभी फ़लस्तीन, उर्दन,लेबनान और आज का सीरिया , कभी मुत्तहिद इलाका हुआ करता था,

मूल्क शाम कभी फ़लस्तीन, उर्दन,लेबनान और आज का सीरिया , कभी मुत्तहिद इलाका हुआ करता था, जिसका शेराजा  पहली आलमी जंग के बाद सलीबी ताकतों  #रूस व #इंग्लैण्ड  मिल्लत के गद्दारों और जमीर फरोशों के साथ मिलकर बिखेर दिया, जिस में से उर्दन गद्दार-ए-मिल्लत "शरीफ हुसैन" के औलादों के हाथ आया, फ़लस्तीन यहूदियों को मिल गया, लेबनान सलीबी हमलों में आकर बसने वाले मोवारना के शिई शराकत में  सौंप दिया गया और मौजूदा सीरिया नसिरियों के कब्जे में दे दिया गया, यह सीरिया काफी सालों से बहार अरब का शिकार है मूसलमानों का मजबूत तरीन मूल्क शाम जो आज सीरिया के नाम से जाना जाता है पिछले 80 सालों से असद खान के हाथों कट और लुट रहा है,
"सुलेमान अल वहशी" जिसको मिस्र के डिक्टेटर जमाल अबदूल नासिर ने सुलेमान अल असद  बना दिया था, सुलेमान वही है जिसने शाम को फ़्रांस के हाथों बेंच दिया था, और सुलेमान का बेटा हाफ़िज अल असद जिसने इसराइल बनाने में बहुत बड़ा और अहम् रोल अदा किया, इसी हाफ़िज अल असद के रक्षा मंन्त्री रहते हुए गोलान जैसा अजीमूसशान किला
जिसको नाकाबिले तसखीर महाज जंग बनाने के लिये,
मुसलमानों ने अपने दौरे होकूमत में 300 मिलयन डॉलर खर्च किये थे, जिसके बारे में यह मशहूर था कि इस पर यहूदी कभी कब्जा नहीं कर सकते हैं, ऐसा मजबूत और अजीम किला हाफ़िज अल असद की सुन्नी दुश्मनी की वजह से महज 48 घण्टे में सहूनियों के कब्जे में चला गया, इस्राइल बनवाने के बाद हाफ़िज अल असद का जूल्म यहीं नहीं खत्म हुआ, बल्कि इसके बाद लगातार उसने सुन्नी मुसलमानों का सफाया करवाया,26/06/1980 को तदमूर जेल में किस तरह से हाफ़िज अल असद का भाई उस वक़्त का जल्लाद रफअत अल असद ने अपने बदनाम जमाना सराया रक्षा स्पेशल फोर्स को 12 हेलीकॉप्टरों में लेजाकर तदमूर जेल में बड़े पैमाने पर सामूहिक हत्यायें की, जिस में आलिम अदीब पढ़े लिखे तबके से कूल 1850 लोगों को कत्ल किया जो भविष्य के कौंम कि  बागडोर संभालने वाले भी थे, उन लोगों को शहीद किया , असद खान का फिरौनियत का खेल यहीं नहीं रुका, बल्कि 2 जनवरी 1982 को सुन्नियों का एक बड़ा इलाका "शहर हमाता" को अपनी गैरत और ईमानी जज्बे के लिए मशहूर था वहां ऐसी कत्ल व गारत गरी मचाई जैसे की किसी दुश्मन मूल्क पर हमला हुआ हो लगातार 27 दिनों तक शहर हमाता के बूढ़ों नवजवानों बच्चों के खून से असद खानदान अपनी इस्लाम दुश्मनी की प्याश बुझाता रहा, उस कयामत सोज हालत ने 40 हजार सुन्नियों को लूकमये अज़ल बना दिया।

No comments:

Post a Comment