आतंक के आरोप से कोर्ट ने किया बरी तो उत्तर प्रदेश पुलिस ने फिर से फंसाया - Hakeem Danish

Saturday, 14 January 2017

आतंक के आरोप से कोर्ट ने किया बरी तो उत्तर प्रदेश पुलिस ने फिर से फंसाया


मुस्लिम हितैषी होने के दावे करने वाली अखिलेश सरकार की पुलिस ने एक आतंक के दोष से ग्रषित 8 साल 9 माह की बेवजह सजा काट कर लौटे, मुस्लिम व्यक्ति को फिरसे गिरफ्तार कर लिया है जिसपर अखिलेश सरकार के प्रति मुसलमानो की तीखी प्रतिक्रिया देखने को मिल रही है---
अशरफ हुसैन  लिखते हैं -


"समाजवादी ढोंग"

ये नौशाद हैं, इन्हें कल उनके घर बिजनौर से यूपी पुलिस ने उठा लिया। नौशाद और उनके साथ ये तीनों शख्स 8 साल 9 महीने के बाद जनवरी 2016 में आतंकवाद के आरोपों से अदालत द्वारा बाइज्जत बरी किए गए थे।
अली अकबर, शेख मुख्तार, नौशाद और अजीजुर्रहमान को जब अदालत ने बेगुनाह करार देते हुए रिहा कर दिया था तो क्या युपी सरकार के किसी भी मंत्री सांसद या अधिकारियों ने इनके करीब 9 साल को बर्बाद किये जाने पर माफी मांगी थी ? नहीं, उपर से समाजवादी सरकार हाइकोर्ट चली गई और नौशाद साहब को फिर से गिरफ्तार करवा दिया।
ये केवल इन चारों की बात नहीं है बल्कि यह समाजवादी  विकास की वो तस्वीर है जिसे हम देख नहीं पाते। आबादी से अधिक जेलों में कैद मुस्लिम समुदाय को जेलों में ठूसकर रिकार्ड कायम कर अपने संघी आकाओं को खुश करने के लिए यह लोग किसी भी स्तर तक जा सकते हैं। खालिद मुजाहिद से लेकर नौशाद साहब तक बेहिसाब ऐसे उदाहरण मौजुद हैं,

मुलायम सिंह यादव जी आपको चाहिए कि आतंकवाद के नाम पर कैद बेगुनाहों पर अपनी स्थिति स्पष्ट करें क्योंकि आप लगातार इस मुद्दे पर मुसलमानों को गुमराह करते रहे हैं और अपने बेटे अखिलेश यादव को डिफेंड करते रहे हैं। आपको तो अपने बेटे द्वारा बुढ़ापे में पार्टी से बेदखल कर दिए जाने का बहुत अफसोस है लेकिन आपकी पूर्ववर्ती सरकार और आपके बेटे की मौजूदा सरकार ने जिन नौजवान मुसलमानों को उनके घर परिवार से अलग करके जेलों में सड़ाया है उनके परिवारों के दर्द को भी समझना चाहिए। उनके लिए दूसरे बुजुर्गों की भावनाओं को समझने का यह सबसे अच्छा अवसर है। जब आप यह कह रहे हैं कि रामगोपाल अपने बेटे और बहू को बचाने के लिए मुसलमानों के हत्यारे अमित शाह से मिल कर सपा को कमजोर कर रहे हैं तो उनको यह भी बताना चाहिए कि बेगुनाह मुसलमानों को न छोड़ने की रणनीति अखिलेश-रामगोपाल की थी या खुद आपकी। या फिर साफ कह ही दिजिये की मुसलमानों के लिए समाजवाद केवल एक ढोंग ही है ?

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