नेताजी सुभाष चन्द्र बोस के ड्राईवर निजामुद्दीन साहब का 117 साल की उम्र में इंतेक़ाल - Hakeem Danish

Sunday, 5 February 2017

नेताजी सुभाष चन्द्र बोस के ड्राईवर निजामुद्दीन साहब का 117 साल की उम्र में इंतेक़ाल

तीन गोली खाकर बचाई थी नेताजी की जान...
सुभाष चंद्र बोस ने देश की आजादी में बहुत बड़ी भूमिका
निभाई है। आजादी के लिए उन्होंने अपनी फौज बनाई,
जिसका नाम 'आजाद हिंद फौज' रखा। इस संगठन के सदस्य और
नेताजी के पर्सनल बॉडीगार्ड कर्नल निजामुद्दीन यूपी के
आजमगढ़ जिले में रहते हैं।
116 साल की उम्र में भी उन्हें नेताजी से जुड़ी घटनाएं याद हैं।
वह बताते हैं कि उन्होंने खुद गोली खाकर नेताजी की जान
बचाई थी। इसके बाद कैप्टन लक्ष्मी सहगल ने उनके पीठ से गोली
निकाल कर इलाज किया था।
कर्नल निजामुद्दीन बताते हैं कि आज भी उन्हें वर्मा का 1944
का युद्ध याद है, जब अंग्रेजों ने उन्हें नेताजी के साथ जंगल में घेर
लिया था। कीचड़ के दलदल से एक अंग्रेज सिपाही ने नेताजी पर
पीछे से तीन गोलियां चलाई थी, लेकिन उन्होंने नेताजी को
छुपाते हुए अपनी पीठ पर गोली खा ली थी। इन गोलियों के
निशान आज भी उनकी पीठ पर मौजूद हैं।
कर्नल के बेटे मोहम्मद शेख अकरम ने अपने पिता के बारे में विस्तार
से बताया। मोहम्मद शेख अकरम ने बताया कि बाबूजी और
नेताजी वर्मा युद्ध के दौरान जंगलों में घिर गए थे। उस समय
अंग्रेज लगातार फायरिंग कर रहे थे। बाबूजी और नेताजी जी
झाड़ियों में छिपकर दुश्मनों से लोहा ले रहे थे। कुछ दूरी पर कैप्टन
लक्ष्मी सहगल भी अंग्रेजों को जबाब दे रही थी। तभी एक
अंग्रेज सिपाही ने कीचड़ से लथपथ होकर दलदल के बाहरी
हिस्से से नेताजी पर निशाना साधते हुए फायरिंग कर दिया।
कर्नल निजामुद्दीन की नजर उस पर पड़ी। उन्होंने नेताजी को
कस कर पकड़ लिया और तीनों गोली अपनी पीठ पर खा ली।
मोहम्मद शेख अकरम ने बताया कि इसके बाद बाबू जी के द्वारा
चलाई गई एक गोली अंग्रेज के माथे पर लगी। अंग्रेज इंग्लिश में
गाली देते हुए वहीं गिर पड़ा। उन्होंने बताया, 'बाबू जी बताते हैं
कि नेता जी के मुंह से उस समय एक बात निकली थी कि भारत
के आजादी के लिए सुभाष का दूसरा जन्म हुआ है।
आज निजामुद्दीन साहब का इंतेक़ाल हो गया
इन्ना लिल्लाहि व इन्ना इलैहि राजेउन

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