बीवी है गुलाम नहीं इज्ज़त करना फर्ज है - Hakeem Danish

Monday 27 March 2017

बीवी है गुलाम नहीं इज्ज़त करना फर्ज है

वह औरत जिसे सारा दिन फारिग रहने के ताने मिलते हैं मैंने उसे 4 माह का बेटा ले लिया और उसको उसके मायके छोड़ आया दरअसल मैं घर वालों को के रोज-रोज के तानों से तंग आ चुका था तुम्हारी बीवी कोई काम नहीं करती तुम्हारी बीवी कोई काम नहीं करती मुझे भी ऐसा ही लगा था आखिर तुम क्या करती हो सारा दिन  , बर्तन कपड़े घर की सफाई तो कामवाली कर जाती है लेटी ही रहती हो उसके जाने के बाद आज मेरी पहली रात का आगाज था मेरे पहलू में कोई मुझे अपनी शरारतों से हंसाने वाला नहीं था हां मेरा बेटा जरूर था जिसे मैंने अभी-अभी फीडर दे कर सुलाया था आप समझे नहीं दूध पिलाने से लेकर बच्चे को सुलाने तक मुझे क्या-क्या करना पड़ा मैं तफ़सील से बताना चाहता हूं मैं उठा और किचन में गया
फिडर को साबुन से धो कर मैंने चूल्हे पर पानी चढ़ाया फिर दूध बनाने के लिए पानी गर्म किया और उसमें पाउडर डाला तब कहीं जाकर एक फीडर तैयार हुआ दूध पिलाने के बाद मैं उसे कंधे से लगाकर थपकियां देता रहा ताकि दूध हजम हो सके फिर उसका पैम्पर बदला बदलने के बाद उसे लेटाया तो मालूम हुआ कि बच्चे ने पाखाना किया हुआ है उसे बाथरूम ले जाकर साफ करके वापस आया तो उसने दूध की उल्टी कर दी मैं जल्दी से रूमाल उठाने को लपका खैर उसको पैप्मर दोबारा लगाया और बाजू में झूला झूलाकर सुलाने लगा दूध उबालकर उसे ठंडा किया और फ्रिज में रख दिया वह होती तो मिल्क शेक बनाकर मेरे हाथ में थमा देती लेकिन अब इतने झमेलों में कौन पड़े अभी अपनी रोटी पका कर खा लूंगा लेकिन आटा अभी तो वह गूंधना पड़ेगा शुक्र है सालन तो पक्का पड़ा है बस कटोरी में डाल कर माइक्रोवेव ऑन करना है मैं जरा बेड से बिखरा हुआ सामान उठा लूँ सब को सही जगह पर रख दूं और फिर रोटी खा लूं नहीं नहीं सुबह ऑफिस जाने के लिए कपड़े भी तो प्रेस करने हैं मैं लगा कपड़ा प्रेस करने अभी शर्ट प्रेस की ही थी कि बेटा रोने लगा अबकी बार मैंने उसको झूले में डाला और झूला झुलाने लगा भूख से मेरा बुरा हाल था कैसा भी  अल्लाह  अल्लाह करके बच्चे को सुलाया और एक रेस्टोरेंट पर कॉल करके खाना मंगाया आधे घंटे में खाना मेरे सामने था मैंने बड़े-बड़े
नवालों में खाना खत्म कर दिया क्योंकि मैं जानता था अगर बेटा दोबारा जाग उठा तो खाना पड़ा रह जाएगा फिर दोबारा गर्म करने के लिए भी टाइम चाहिए और मसक्कत भी मुझे उकताहट होने लगी घड़ी 11:00 बजा रही थी मैं बिस्तर पर ढह सा गया,
बीवी का नाम लेकर बोला चादर अलमारी से निकाल दो मैं ओढ़ कर सोना चाह रहा हूं लेकिन नहीं अब खुद ही उठकर लेनी पड़ेगी चादर अभी मैं यह सोच ही रहा था कि इनवर्टर भी जवाब दे गया पंखा बंद हो गया इससे पहले कि गर्मी की वजह से मेरा बेटा जाग जाता और चिल्लाने लगता मैंने बेड से छलांग लगाई और झट से हाथ वाला पंखा अलमारी से निकाल लाया मैं उसको पंखा झलने लगा और साथ-साथ नींद की शिद्दत से खुद भी झूलने लगा 12:00 बजे बिजली आई और मैं फौरन ही सो गया 2:00 बजे बेटे के रोने की आवाज से मेरी आंख खुल गई अचानक गहरी नींद से जागने पर मेरे सर में दर्द होने लगा उसे भूख लगी हुई थी मैं सुस्ती से उठा और उसे डब्बे का दूध बनाकर पिलाया 2:30 बजे के करीब बेटा सो गया और मैं भी उसके बाद बेटा कब जागा और कब तक रोता रहा मुझे नहीं पता अलबत्ता जब सुबह 8:00 बजे आंख खुली तो वह रो ही रहा था और उसके पेंपर से बदबू आ रही थी पूरी बेडशीट खराब हो चुकी थी जल्दी से उठा पेम्पर बदला दूध पिलाया बेडशीट को धोया और यह धुली हुई बेडशीट बिछाई सवा 9:00 बज चुके थे नाश्ते में जो मैं दही खाता था वह मेरी बीवी घर में बना लेती थी पता नहीं किस वक्त बनाती थी मैंने चाय बनाने की गरज से थोड़ा दूध उंडेला और सोचने लगा कौन सा वक्त था जब मेरी बीवी मसरूफ नहीं होती थी मेरी ख़िदमत में भी कोई कमी नहीं आने देती घर में सिर्फ वही तीन काम तो नहीं थे जिनके लिए मैंने नौकरानी रखी थी एक बच्चे को संभालना ही काफी था उसको थकान से चूर करने के लिए लेकिन वह मुझे वक्त पर खाना देती मैं थक जाता तो मुझे दबाती मैं उदास होता तो मुझे हंसाती और मेरी दिलजोई  करती मैं काम के सिलसिले में उलझ जाता तो मेरी कशमकश में मेरा साथ देती मेरा हौसला बढ़ाती मैं सोचो मैं गुम था दूध उबलकर सेल्फ पर आ चुका था मैं आहिस्ता-आहिस्ता सेल्फ पर कपड़ा लगाने लगा तुम करती क्या हो सारा दिन वाह तुम्हारा जिस्म क्यों दर्द करने लगा कौन सा पहाड़ ढहाया है तुमने और वह पहलू बदल लेती है शायद मेरे तंज भरे शब्दों से अकेले में आंसू बहाती होगी पर मैं जालिम इंसान ने परवाह नहीं की कभी कुछ देर बाद खुद ही साइड बदलकर मेरे चेहरे पर झुक जाती आई लव यू  कहती तो मैं जवाब में मुस्कुरा देता और वह इसरार करने लगती नहीं आप आई लव यू तो बोलें मुझे :
Fikr-e Millat

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