वेलेंटाइन डे मनाना कैसा है क़ुरआन व हदीस की रौशनी में - Hakeem Danish

Saturday 3 February 2018

वेलेंटाइन डे मनाना कैसा है क़ुरआन व हदीस की रौशनी में



☆वेलेन्टाइन डे मनाना कैसा
[पोस्ट -04]
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☆शर्मो हया का दर्स और बे हयाई की मज़म्मत आयते क़ुरआनीया से☆
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♥अल्लाह عزوجل का ये फरमान भी मुलाहजा कीजिये : ऐ नबी अपनी बीबियो और साहिब ज़ादियो और मुसलमानो की ओरतो से फरमा दो की अपनी चादरों का एक हिस्सा अपने मुह पर डाले रहे ये इस से नज़्दीक-तर है की इन की पहचान हो तो सताई न जाए। और अल्लाह बख्शने वाला महेरबान है।
पारा 22
     इस फरमान को भी तवज्जोह से पढ़ लीजिये : और किसी मुसलमान मर्द न मुसलमान ओरत को पहुचता है की जब अल्लाह व रसूल कुछ हुक्म फरमा दे तो उन्हें अपने मुआमले का कुछ इख़्तियार रहे और जो हुक्म न माने अल्लाह और उसके रसूल का वो बेशक सरिह गुमराह बहका।

     मज़कूर आयते क़ुरआनीया में अल्लाहु रब्बुल इज़्ज़त ने मुअमिनीन मर्दों और औरतो को निगाहें नीची रखने, अपनी शर्मगाहों की हिफाज़त करने का हुक्म दिया, और परदे की अहम्मिययत किस क़दर है इसका अंदाज़ा इस बात से लगा लीजिये की औरतों को जाहिलिययते उल की बे पर्दगी से मना किया गया, यहाँ तक की ज़ेवर की आवाज़ भी गैर मर्द न सुने, इसका लिहाज़ रखने का फ़रमाया गया.
     और आखरी आयत जो जिक्र की गई उसमे अल्लाह عزوجل और उसके रसूल ﷺ के फैसले के बाद किसी मुसलमान मर्द व औरत के लिये इख्तियार बाक़ी नहीं रह जाता इसका वाज़ेह ऐलान फरमा दिया गया। तो क्या मुसलमानो को इन अह्कामात के आगे सरे तस्लीम खम नहीं करना चाहिये ?
     लेकिन अफ़सोस के साथ कहना पड़ता है की बहुत से मुसलमान मर्द व औरते वेलेन्टाइन डे में इन अह्कामात की ऐलानिया खुल्लम खुल्ला काफिरो की तक़लीद में खिलाफ वर्जिया करते है।
     अल्लाह عزوجل अक़्ल दे, समझ दे, अहकामे शरीअत की इत्तिबाअ में ज़िन्दगी बसर करने की तौफ़ीक़ दे।
आमीन....

बाक़ी अगली पोस्ट में..ان شاء الله
(वेलेन्टाइन डे क़ुरआनो हदिष की रौशनी में 19)

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